महिलाऐं भी हो रही हैं नशे की आदी

मांट। घरों में पतियों को नशा मुक्ति का दिन रोज पाठ पढ़ाने वाली महिलाऐं भी अब नशा करने में पुरूषों की बराबरी पर उतारू हैं,तमाम महिलाऐं और युवतियां इन दिनों गुटखा और तम्बाकू खाते देखी जाती हैं तो बहुत सी महिलाऐं दिन भर दांतों पर नसवार रगड कर नशा करती दिख रहीं हैं। गुजरे जमाने में महिलाऐं नशा से तौबा करती थीं,और घरों में किसी भी पुरूष के नशा का पुरजोर बिरोध करती थीं,तमाम महिलाऐं ऐसी भी हुआ करती थीं कि वह नशेडी व्यक्ति के नाम तक से नफरत करती थीं,परन्तु समय के साथ साथ सब कुछ बदल गया है,कहीं परिवार के माहौल ने महिलाओं को धीरे धीरे नशे का आदी बना दिया तो कभी पश्चिमी सभ्यता की होड के चलते महिलाऐं नशेडी होती जा रही हैं।

सबसे पहले तम्बाकू युक्त मंजन से महिलाओं को लत पडी,इस मंजन को दांतों पर रगडने से नशा होता है,और नशा भी इसमें इतना होता है कि तम्बाकू या किसी भी तरह का नशा न करने वाला यदि इसे रगड ले तो नशि्चित रूप से उसे चक्क र आने लगते हैं,इस मंजन को पहले तो महिलाओं ने दांतों की विभिन्न बीमारियों के नाम पर लेना शुरू किया था,पर धीरे धीरे महिलाओं ने महसूस किया कि यह तो नशा भी कर रहा है,तो उन्होने उसे नशा के लिए प्रयुक्त करना शुरू कर दिया,क्यों कि नशा भी हो जाता है और देखने वाले समझते हैं कि केवल मंजन किया जा रहा है,पर वास्तव में यह मंजन तो अब केवल नशा के लिए ही किया जा रहा है।

हालात यह है कि जब भी इन महिलाओं को फुर्सत मिलती है,उन्हें ऐसी तडफ होती है जैसे नशा के आदी को समय से नशा न मिलने पर होती है,और तुरंत हथेली भर कर नसवार रख कर उसे रगडना शुरू कर देती हैं स्थिति यह है ऐसी महिलाओं को एक बार को रोटी मिले न मिले पर नसवार उन्हें हर हाल में चाहिए,क्यों कि इसके बिना उनकी हालात ऐसी हो जाती है,जैसे बिना पानी के मछली। महिलाओं का नशा केवल नसवार तक ही सीमित नहीं है,पहले मजदूरी करने वाली महिलाओं को बीडी पीते देख जाता था,पर अब तो कई युवतियों को सरेआम सगिरेट पीते देखा जाता है तो कई महिलाऐं चोरी छिपे बीयर और व्हिस्की का स्वाद लेते दिख जाती हैं।

Source: Live Hindustan

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